Friday, October 11, 2024

माँ की अटूट शक्ति

सुमन अपनी चार बेटियों के साथ रहती थी। उसने बहुत कम उम्र में शादी कर ली थी, और उसके पति विजय उससे 10 साल बड़े थे। विजय एक समझदार और खुशमिजाज इंसान थे, और दोनों ने मिलकर एक खुशहाल परिवार बसाया। सुमन का जीवन विजय और उनकी बेटियों के साथ किसी सपने जैसा था। लेकिन एक दिन, विजय की अचानक मौत ने उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी।

विजय के जाने के बाद, सुमन अपनी बेटियोंनिया, मीरा, सान्वी, और प्रियाके साथ अकेली रह गई। उसका दुःख और गहरा हो गया जब विजय के परिवार ने उसे और उसकी बेटियों को अपनाने से इनकार कर दिया। अब अपनी बेटियों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी सुमन पर गई थी।

कुछ समय बाद, सुमन को गांव के चर्च में देखभाल का काम मिल गया। यह नौकरी उसके और उसकी बेटियों के लिए जीवनरेखा बन गई। जो थोड़ी बहुत आय वह कमा रही थी, उसी से वह उनके खर्च पूरे कर रही थी। उसने अपनी छोटी बेटियों सान्वी और प्रिया को स्कूल हॉस्टल में दाखिल करवा दिया ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके, जबकि निया और मीरा घर पर उसके साथ रहती थीं।

हर महीने सुमन हॉस्टल जाकर सान्वी और प्रिया से मिलती। एक दिन, वे सब हॉस्टल के आंगन में बैठे थे, जहाँ दोपहर की धूप उन्हें एक सुकून भरी गर्मी में नहला रही थी।

सुमन ने धीरे से पूछा, “सान्वी, प्रिया, यहाँ सब ठीक है? क्या तुम लोग यहाँ एडजस्ट कर रही हो? घर की याद तो आती है?”

सान्वी मुस्कराई, उसकी आँखों में आत्मविश्वास की चमक थी।माँ, हॉस्टल ठीक है। शुरू में घर से दूर रहना मुश्किल था, लेकिन अब हमने दोस्त बना लिए हैं और टीचर भी बहुत सपोर्टिव हैं।

प्रिया ने सिर हिलाया।हाँ, माँ। अब हम रूटीन में गए हैं। हॉस्टल का खाना तुम्हारे खाने जैसा अच्छा तो नहीं है, पर हम मैनेज कर रहे हैं।

सुमन हँस पड़ी।घर के बने खाने की तो बात ही अलग है। पर मुझे खुशी है कि तुम दोनों एडजस्ट कर रही हो। तुम्हें सब कुछ मिल रहा है ना?”

सान्वी ने अपनी माँ का हाथ थामा।माँ, चिंता मत करो। हमें हालात पता हैं और हम तुम्हें परेशान नहीं करना चाहते। हम दोनों ठीक हैं और खुद से चीजें संभालना सीख रहे हैं।

प्रिया शरारत से मुस्कुराई।पर माँ, अगर अगली बार कुछ आलू परांठे ले आओ, तो मजा जाएगा!”

सुमन ने अपनी बेटियों की ओर प्यार से देखा।अगली बार परांठे जरूर लाऊंगी। बस तुम लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और खुश रहो। मुझे पता है कि हालात मुश्किल हैं, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।

सान्वी ने उसे कसकर गले लगाया।माँ, हमें तुम्हारी बहुत याद आती है, पर यहाँ रहकर हम और मजबूत हो गए हैं। हमने अपने बारे में बहुत कुछ सीखा है। हम बस यही चाहते हैं कि तुम हम पर गर्व करो।

सुमन की आँखों में आँसू गए और उसने अपनी बेटियों को गले से लगा लिया।मुझे तो पहले से ही तुम दोनों पर गर्व है। तुमने अपनी ताकत से मेरा जीवन आसान कर दिया है। चाहे तुम जितनी दूर रहो, तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी।

कुछ समय साथ बिताने के बाद, सुमन ने अपनी बेटियों को विदा किया। उसका दिल गर्व और थोड़ी उदासी से भरा था। घर लौटकर, निया और मीरा उसकी मदद कर रही थीं ताकि घर अच्छे से चलता रहे। मीरा ने चर्च में छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था, और निया ने एक ऑफिस में नौकरी कर ली थी। उनकी मदद से उनके आर्थिक हालात कुछ बेहतर हो गए थे।

लेकिन जल्द ही निया को अपने ऑफिस के एक लड़के रोहित से प्यार हो गया।

एक शाम, जब सुमन बरामदे में बैठकर सब्जियां छील रही थी, निया उसकी ओर आई, अपने दुपट्टे से खेलते हुए। सुमन ने उसकी बेचैनी को देखा और धीरे से पूछा, “क्या बात है, निया? तुम इतनी परेशान क्यों हो?”

निया ने कुछ देर झिझकते हुए कहा, “माँ, मैं... मैं तुमसे रोहित के बारे में बात करना चाहती हूँ।

सुमन ने रुककर उसकी बातों का अंदाजा लगाया।हाँ, बेटा। क्या तुम शादी के बारे में सोच रही हो?”

निया ने सिर हिलाया, उसकी आँखें उसकी माँ के चेहरे को टटोल रही थीं।माँ, रोहित और मैं एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन... वह अलग जाति से है। मुझे डर है कि लोग क्या कहेंगे।

सुमन ने सब्जियां एक तरफ रख दीं।तुम जानती हो कि अंतर्जातीय विवाह कितना कठिन हो सकता है। समाज इसे आसानी से स्वीकार नहीं करता।

निया का चेहरा उदास हो गया।मुझे पता है, माँ, पर रोहित बहुत अच्छा इंसान है। वह मुझे समझता है और हम एक-दूसरे के साथ खुश हैं। मुझे बस यह समझ नहीं रहा कि तुम हमारा समर्थन करोगी या नहीं।

सुमन ने अपनी बेटी को समझदारी से देखा।बेटा, तुम्हारी खुशी मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है। अगर तुम और रोहित सच में एक-दूसरे से प्यार करते हो, तो मैं तुम्हारा फैसला मानूँगी। लेकिन यह सिर्फ तुम दोनों की बात नहीं है, इसमें तुम्हारे परिवार भी शामिल हैं। क्या तुमने सोचा है कि तुम इसे कैसे संभालोगी?”

निया ने धीरे-धीरे सिर हिलाया।हमें पता है कि यह चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन हम दोनों इसे मिलकर सामना करने के लिए तैयार हैं।

सुमन ने भारी मन से कहा, “और शादी के बारे में क्या? मैंने जो पैसे बचाए हैं, वे शायद इस स्थिति के लिए काफी नहीं होंगे।

निया ने आँसुओं से भरी आँखों से अपनी माँ का हाथ थाम लिया।पैसे की चिंता मत करो, माँ। रोहित और मैं मैनेज कर लेंगे। मुझे बस तुम्हारा समर्थन चाहिए।

सुमन ने उसका हाथ दबाया।अगर तुम खुश हो, तो मैं तुम्हारे साथ हूँ। लेकिन याद रखना, शादी में प्यार के अलावा सम्मान और समझौता भी जरूरी होता है।

निया ने अपनी माँ को कसकर गले लगाया।धन्यवाद, माँ। मैं कभी तुम्हारा कर्ज नहीं चुका सकती।

सुमन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “मुझे बस तुम्हारी खुशी चाहिए। हमेशा याद रखना, तुम्हारा परिवार तुम्हारे साथ खड़ा रहेगा।

अपनी चिंताओं के बावजूद, सुमन ने निया को आशीर्वाद दिया। निया और रोहित की शादी हो गई, हालांकि सुमन को रोहित के परिवार से अपमान सहना पड़ा। उसने अपनी बेटी की खुशी के लिए यह सब सहा।

बाद में, सुमन को एक पोता हुआ, जिसका नाम यश रखा गया। उसके आगमन ने सुमन की जिंदगी में नई खुशियाँ ला दीं, और उसने अपने दिन खुशी-खुशी उसकी देखभाल में बिताए।

समय के साथ, सुमन ने अपनी बाकी बेटियों की भी शादी करवा दी। मीरा ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक उपयुक्त लड़के से शादी कर ली, जबकि सान्वी ने एक नर्सरी टीचर बनकर एक पादरी से साधारण कोर्ट मैरिज की। प्रिया ने नर्सिंग की पढ़ाई की और एक दक्षिण भारतीय लड़के से शादी की। हर बेटी ने अपनी खुशी पाई, और सुमन, उनकी संतुष्टि देखकर, आखिरकार शांति महसूस करने लगी।

सुमन ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उसने कभी विश्वास नहीं खोया। इस कहानी में महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों, जैसे अंतर्जातीय विवाह की कठिनाइयों, आर्थिक संघर्षों, और माँ और बच्चों के गहरे रिश्ते को छुआ गया है। सुमन का अपनी बेटियों के लिए किए गए त्याग और समर्थन मातृत्व की निःस्वार्थता को बखूबी दर्शाता है। भावनात्मक क्षण, जैसे सुमन की अपनी बेटियों से बातचीत, पारिवारिक प्रेम की कोमलता और गर्मजोशी को उजागर करते हैं। माँ के रूप में सुमन का अटूट साहस और प्रेम उसे हर मुश्किल से निकालने में मदद करता है। उसकी कहानी यह दिखाती है कि एक माँ की ताकत अटूट होती है, और चाहे उसके बच्चे कितने भी बड़े हो जाएँ, उसकी अहमियत कभी कम नहीं होती।

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